नमस्कार दोस्तों, आइये जानते है कि होली कब है ? वैसे आप लोग को पता ही होगा होली हिंदुओं का त्यौहार है | होली फाल्गुन मास पूर्णिमा के दिन होलिका दहन मनाया जाता है| होली मार्च के महीने में होता है | होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है | इस साल २०२१ में होलिका दहन 28 मार्च को है और 29 मार्च को होली मनाया जाएगा | वैसे होलिका दहन में प्रहलाद और बुआ के सम्बंधित में वर्णन है | होली रंगों और खुशियों का त्यौहार है उस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली मनाते है और होली के गाने बजाकर सभी लोग नाचते है| घर पर ढेर सारा पकवान बनता है | जिसका मजा घर के पूरे सदस्य लेते है | होली के दिन गुझिया, मठरी, नमकपारा और भी बहुत ढेर सारी चीज़ बनती है जिसका लुफ्त सभी लोग उठाते है| होली प्रमुखता भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है।
होलाष्टक क्या है और क्यों अशुभ होता है ?
होलाष्टक फाल्गुन मास की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक माना जाता है।होलाष्टक होलिका दहन से आठ पहले लग जाता है| उस समय कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होता है कि शादी – विवाह समारोह या गृह प्रवेश इत्यादि कार्य नहीं होता है उस समय अशुभ माना जाता है| मुख्य रूप से उत्तरी भारत में आठ दिन यह त्यौहार मनाया जाता है|
होली का शुभ मुहूर्त क्या है?
आइये जानते है इस साल 2021 में होली का शुभ मुहूर्त कौन सा है ?
पूर्णिमा तिथि शुरू : 28 मार्च 2021, रविवार सुबह 3 बजकर 27 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 29 मार्च 2021, सोमवार रात 12 बजकर 17 मिनट तक
29 मार्च 2021 भद्रा पूंछ – सुबह 10 बजकर 13 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक
29 मार्च 2021 भद्रा मुख – 11 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजे तक
होली पर्व कब और क्यों मानते है?
जैसा कि आपको बता चुके है कि होली दहन 28 मार्च 2021 यानी रविवार को है और होली पर्व 29 मार्च 2021 को है| होलिका दहन के दिन भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद को इस वजह से उनके पिता राक्षस हिरण्यकश्यप पसंद नहीं करते थे। राछस की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वो आग में जल नहीं सकती है, ऐसे में हिरण्यकश्यप ने उसे आज्ञा दी कि वो प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाए जिससे वो जलकर मर जाए। लेकिन विष्णु भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गए और होलिका जल गई। तब से होलिका दहन मनाते है |
होलिका दहन ऐसे करते है –
होलिका दहन के कुछ दिन पहले ही सुखी लकड़ियाँ लाकर इखट्टा करके एक जगह रख देते है| जिसके बाद होलिका दहन के दिन लकड़ी, सुखी घास और गोबर के कंडे डालकर जला देते है | कहा जाता है कि होलिका दहन के दिन शुभ मुहूर्त में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से आग जलानी चाहिए। होलिका दहन को कई जगह लोग छोटी होली भी कहा करते हैं, इसके अगले दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर होली का त्योहार मनाया जाता है।